दिल जरा जगमगा लीजिये
यूँ दिवाली मना लीजिये
रौशनी को दिए हैं बहुत
अब ये सूरज बुझा लीजिये
उसकी जिद है पुराने हैं गम
कुछ न कुछ तो नया लीजिये
आप की भी सुनेगा खुदा
चार पैसे कमा लीजिये
फीकी पड़ जायेगी फुलझड़ी
बस जरा खिलखिला लीजिये
रंगो रोगन जरूरी नहीं
घर को घर तो बना लीजिये
ना रहेगी अमावस सनम
रुख से जुल्फें हटा लीजिये
पास तो बैठिये चैन से
इतनी जहमत उठा लीजिये
और तोहफे ना कुछ चाहिए
ये ग़ज़ल गुनगुना लीजिये ..
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1 comment:
behad pyari gazal vineet bhai
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