अपने ईनाम ले के चले
कितने इल्जाम ले के चले
चीखती हैं ये खामोशियाँ
दिल में कोहराम ले के चले
जितने रुसवा हुए इश्क में
और भी नाम ले के चले
बिक गए आज बाज़ार में
दर्द के दाम ले के चले
दिख गए ख्वाब जब भी कभी
चैनो आराम ले के चले
ढूंढते हैं कोई गम नया
जो हमें थाम, ले के चले
कौन जाने कहाँ हो थकन
जेब में शाम ले के चले
जब भी बहके हमारे कदम
और इक जाम ले के चले
खो के पाया है सारा जहाँ
हम ये पैगाम ले के चले
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment