Friday, July 23, 2010

नाम अपना मुहब्बत बताया करे

अपने बन्दों को जब आजमाया करे
शै खुदा तेरे जैसी बनाया करे

आये काफिर यकीं पे तुझे देख कर
पीर को तू खुदा भी भुलाया करे

रिंद देखे तो होशों में आये मगर
शेख देखे तुझे लडखडाया करे

चेन खोये उमर भर का इक पल में वो
जो नज़र तुझ से कोई मिलाया करे

हाथ तू जो उठा के ले अंगड़ाइयां
गश फरिश्तों को भी जान आया करे

चाँद जो देख ले तुझको इकबारगी
आसमाँ अपने सर पे उठाया करे

जो घटा तेरी जुल्फों पे नज़रे करे
आंसुओं से जहाँ को भिगाया करे

आँख चाहें तुझे एकटक देखना
है फिकर क्या इन्हें जान जाया करे

छू के तुझको जो गुजरे जरा हौले से
वो हवा खुशबुओं में नहाया करे

तुमको चाहे दुआ दे या पूजा करे
दिल बिचारा समझ ये ना पाया करे

लोग कहते हैं कातिल मसीहा तुझे
नाम अपना मुहब्बत बताया करे

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