Friday, September 24, 2010

खफा हो के हमसे दिखाओ तो जानें

खफा हो के हमसे दिखाओ तो जानें
कभी प्यार इतना जताओ तो जाने

यकीं कैसे कर लें के रूठे हुए हो
हमें देख कर मुस्कुराओ तो जाने

खुदा तुम को यूँ ही न कहते हैं जानां
सुनो कुछ कभी कुछ सुनाओ तो जानें

न आने के लाखों बहाने हैं तुम पे
जो ख्वाबों में भी तुम न आओ तो जानें

न जाने समन्दर हैं ये कितने गहरे
जरा हमसे नज़रें मिलाओ तो जानें

चिरागों से रौशन कहाँ होंगी रातें
हमारी तरह दिल जलाओ तो जानें

सवेरे सवेरे कहाँ गम है सूरज
जो चेहरे से जुल्फें हटाओ तो जानें

हैं मशहूर तेरी मुहब्बत के किस्से
हमें भी कभी आजमाओ तो जानें

सुना है कि पढ़ते हो तुम खूब मुझको
कभी जो मुझे गुनगुनाओ तो जानें

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